झाड़-फूंक से नहीं, दवा से संभव है मिर्गी का इलाज; जरा सी लापरवाही से ब्रेन हो जाएगा डैमेज

भारत24 डिजिटल डेस्क: आज के समय में भी काफी लोग कई बीमारियों का उपचार झाड़-फूंक और जादू-टोने के जरिए करवाने की कोशिश करते हैं. इसमें सबसे अधिक सांप काटने का उपचार शामिल है, जिससे कि कई बार मरीज की मौत भी हो जाती है.

ऐसी ही एक बीमारी मिर्गी (Epilepsy) है. जिसका आज भी लोग झाड़-फूंक के जरिए इलाज करवाने में मरीज का कीमती समय नुकसान करते हैं. फिर बाद में मरीज की हालत बिगड़ने पर डॉक्टर के पास पहुंचते हैं. लेकिन तब तक दिमाग को काफी नुकसान पहुंच चुका होता है. काफी लोगों को लगता है कि मिर्गी का कोई इलाज नहीं है और वो डॉक्टर के पास जाने की बजाय किसी टोटके का सहारा लेते हैं.

किसी भी उम्र में हो सकती है बीमारी

किसी भी उम्र के लोगों को मिर्गी हो सकती है. काफी लोगों को बचपन में तो किसी को बचपन बीतने के बाद मिर्गी का दौरा पड़ने लगता है. इसमें 70 फिसदी मरीज ऐसे होते हैं, जिनको बचपन की मिर्गी से बाद में छूटकारा मिल जाता है.

कुछ मिर्गी के दौरे फ्रेबाइल सीजर के जैसे होते हैं, जो केवल बचपन में बुखार के दौरान आते हैं, बाद में कभी नहीं.

दो प्रकार की होती है मिर्गी

वरिष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. श्रवण कुमार चौधरी बताते हैं कि विश्व स्वास्थ संगठन (WHO) के अनुसार दुनिया भर में लगभग 50 लाख लोग मिर्गी से पीड़ित हैं. जिसमें विकासशील देशों में रहने वाले लोगों की संख्या 80 फिसदी है.

डॉक्टर बताते हैं कि दो प्रकार की मिर्गी होती है. आंशिक मिर्गी में केवल दिमाक के एक हिस्से में दौरा पड़ता है जबकि व्यापक मिर्गी में पूरे दिमाग में इसका दौरा पड़ता है. 2 से 3 साल तक सही इलाज कराने और दवा लेने से मिर्गी के ठीक किया जा सकता है. केवल रेयर केसेज में ही मिर्गी का उपचार करने के लिए पूरी लाइफ दवा का सेवन करना पड़ता है.

विशेषज्ञ बताते हैं कि केवल 10 से 20 प्रतिशत मिर्गी से ग्रसित लोगों का ऑपरेशन करना पड़ता है. ब्रेन हैमरेज और ब्रेन ट्यूमर से भी मिर्गी होने का खतरा रहता है.  

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