Ganesh Chaturthi 2024: मूषक कैसे बना गणपति बप्पा की सवारी? इसके पीछे जुड़ी है एक रोचक कहानी

    Ganesh Chaturthi 2024: भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर गणेश चतुर्थी का त्योहार धूम- धाम से मनाया जाता है. 10 दिनों तक मंदिरों से लेकर घरों में गणपति बप्पा की पूजा अर्चना की जाती है.

    Ganesh Chaturthi 2024: मूषक कैसे बना गणपति बप्पा की सवारी? इसके पीछे जुड़ी है एक रोचक कहानी
    Ganesh Chaturthi 2024: मूषक कैसे बना गणपति बप्पा की सवारी? इसके पीछे जुड़ी है एक रोचक कहानी- फोटोः सोशल मीडिया

    Ganesh Chaturthi 2024: भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर गणेश चतुर्थी का त्योहार धूम- धाम से मनाया जाता है. 10 दिनों तक मंदिरों से लेकर घरों में गणपति बप्पा की पूजा अर्चना की जाती है. तरह-तरह के भोग व्यंजन लगा कर भगवान को प्रसन्न किया जाता है. गणपति बप्पा के कई नाम जगत में प्रसिद्ध हैं. उनमें एक नाम मूषक सवार भी है. बप्पा का प्रीय वाहन मूषक जिसकी सवारी अकसर किया करते है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि गणपति बप्पा का वाहन आखिर चूहा यानी मूषक ही क्यों है? आज हम आपको गणेश जी के वाहन के बारे में ही जानकारी देने आए हैं.

    मूषक कैसे बना बप्पा का वाहन

    पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार की बात है. जब इंद्र देव अपनी सभा में गंभीर मुद्दे पर चर्चा कर रहे थे. इस दौरान उनके साथ सभा में कई देवता, ऋषी मुनी मौजूद थे. इनमें क्रोंच नामक गांधर्व भी मौजूद था. क्रोंच सभा में अवरोध पैदा कर रहा था.

    सभा भंग कर रहा था क्रोंच

    आपको बता दें कि क्रोंच इंद्र देव की सभा को भंग करने की कोशिश कर रहा था. इसी दौरान क्रोंच का पैर गलती से मुनि वाम देव को लग गया. ऐसा देखने के बाद मुनिवाम देव को बहुत क्रोध आया. जिसके बाद मुनि ने उसे मूषक यानी चूहे बन जाने का श्राप दे डाला.

    मुनि वामदेव ने दिया था श्राप

    पहले के समय में यदि ऋषि  मुनि कोई श्राप दे डालते थे तो उनक श्राप मिथ्या नहीं होते थे. इस श्राप के बाद क्रोंच एक विशालकाय मूषक बन गया. जहां इंद्र देवता की सभा से सीधे ऋषि पराशर के आश्रम में जा पहुंचा.

    आश्रम में मचाया आतंक

    अब मूषक आश्रम में तो पहुंचा. लेकिन वहां पहुंचते ही उसने वहां आतंक मचाना शुरू कर डाला. आश्रम में स्थित सभी पेड़ और पौधों को कुतरना शुरू किया. यहां तक की आश्रम में पड़ी ग्रंथों तक को नहीं छोड़ा. आश्रम में मौजूद सारा अन्न भी समाप्त कर दिया. अब जब मूषक यह आतंक मचा रहा था. उसी समय गणपति बप्पा भी ऋषी पराशर के आश्रम में मौजूद थे. यह सब देख रहे थे.

    पाश फेंक मूषक के आतंक पर लगाया विराम

     किसी तरह मूषक के आतंक को रोकने के लिए गणपति बप्पा ने उसप अपना पाश फेंका इस पाश से मूषक को पाताल लोक से देवलोक ले गए. गणपति बप्पा के पाश में बंध जाने के कारण मूषक बेहोश हो गया था. लेकिन जैसे ही वह होश में आया तो उसने गणपति बप्पा से विनती करते हुए उसके प्राण बचाने के लिए कहा. बप्पा ने इसपर मूषक से कहा कि मांगों जो तुम मांगना चाहते हो.

    मूषक ने किया इंकार

    गणपति बप्पा के ऐसा बोलने पर भी मूषक ने इंकार कर दिया और कहा कि आप मुझे अपने साथ में रखिए. यह सुनते ही गणपति बप्पा ने मूषक से कहा कि तू आज से मेरा वाहन बन जा और तभी से लेकर आज तक यानी गणपति बप्पा की सवारी मूषक है.

    डिस्क्लेमर: यहां दी गई सभी जानकारियां सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं. भारत 24  इसकी पुष्टि नहीं करता. इसके लिए किसी एक्सपर्ट की सलाह अवश्य लें.

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