Ganesh Chaturthi 2024: इस गणेशोत्सव पढ़िए यह व्रत कथा, बप्पा होंगे प्रसन्न

    Ganesh Chaturthi 2024: हिंदू धर्म में प्रथम पूज्य के स्थान पर गणपति बप्पा को पूजा जाता है. शुभ कार्य की शुरुआत करने से पहले बप्पा की पूजा अर्चना की जाती है और उन्हें हिंदू धर्म में भाग्य का भी देवता माना गया है.

    Ganesh Chaturthi 2024: इस गणेशोत्सव पढ़िए यह व्रत कथा, बप्पा होंगे प्रसन्न
    Ganesh Chaturthi 2024: इस गणेशोत्सव पढ़िए यह व्रत कथा, बप्पा होंगे प्रसन्न- Photo: Lexica

    Ganesh Chaturthi 2024: हिंदू धर्म में प्रथम पूज्य के स्थान पर गणपति बप्पा को पूजा जाता है. शुभ कार्य की शुरुआत करने से पहले बप्पा की पूजा अर्चना की जाती है और उन्हें हिंदू धर्म में भाग्य का भी देवता माना गया है. किसी भी नई शुरुआत से पहले भगवान गणेश की पूजा करना अहम माना जाता है. मान्यता है कि इससे आपके शुभ कार्यों में लाभ की प्राप्ति होती है. साथ ही लोगों पर कृपा बनी रहती है. भाद्रपद के महनी में गणेश चतुर्थी का पर्व बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है. इस दिन गणेश भगवान का व्रत रखने से इसके अलावा इस दिन अगर कथा पाठ किया जाए तो भगवान गणेश खुश होते हैं और उनकी विशेष कृपा देखने को मिलती है. आइए जानते हैं कि आखिर हम किस कथा की बात आपसे कर रहे हैं.

    इस कथा के बारे में जानत हैं आप?

    एक बार की बात है जब भगवान गणेश और मां पार्वती एक नदी के किनारे बैठे थे. इस दौरान मां पार्वती ने वक्त बिताने के लिए शिव जी से चौपड़ खेलने की विनती की. इस खेल को खलने के लिए शिव जी भी तैयार हो गए. लेकिन अब जब तीनों तैयार हुए तो यह दुविधा सामने आई कि आखिर इस खेल का विजय का फैसला कौन करेगा? कौन तय करेगा कि किसकी जीत हुई और किसकी हार. इसका उपाय निकालने के लिए भगवान भोलेनाथ ने कुछ तिनके बटौरे और उसका पुतला बनाया. उस पुतले में प्राण प्रतिष्ठा कर दी. अब इस पुतले से विनती करते हुए कहा कि पुत्र तुम इस खेल को देखना और हार जीत का उचित फैसला लेना.

    खेल की हुई शुरुआत

    चलिए जब अब यह तय हुआ कि आखिर विजेता का फैसला कौन करेगा तो मां पर्वती और शंकर भगवान ने खेल की शुरुआत की. 3 बार इस खेल को दोनों ने खेला लेकिन शिव जी इसमें हार गए. और पार्वती मां जीत गईं. अब समय आया जब फैसला सुनाना था. लेकिन फैसला सुनाने के दौरान पार्वती माता जी की जगह उस लड़के ने शिव जी को विजयी घोषित कर डाला. चूंकी खेल में पार्वती माता ही विजय हुई थीं, लेकिन ऐसा फैसला सुनने के बाद उन्हें उस लड़के पर अधिक क्रोध आया. जिसके बाद क्रोधवश उस लड़के को मां ने श्राप दे डाला. मां पार्वती ने बालक को लंगड़ा होने का और कीचड़ में पड़े रहने का श्राप दे दिया.  लेकिन कुछ ही क्षण बाद लड़के को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने इस कृत्य की माफी भी मांगी. जिसके बाद पार्वती मां ने उसे माफ भी किया. क्योंकी मां पहले ही श्राप दे चुकी थी. लेकिन क्रोध शांत होने के बाद उन्होंने कहा कि एक वर्ष के बाद इस स्थान पर गणेश पूजन के लिए नाग कन्याएं आएंगी. उनके हिसाब से गणेश व्रत करने से फल प्राप्ति होगी और तुम मुझे प्राप्त करोगे.

    एक साल के बाद वहां पर नाग कन्याएं आईं तो बालक ने उनसे गणेश भगवान के व्रत की जानकारी ली. पूरे विधि-विधान से शख्स ने 21 दिन तक गणेश भगवान का व्रत रखा और पूजा-पाठ किया. ऐसा करने से भगवान गणेश प्रसन्न हुए और उसने बालक से वरदान मांगा. बालक ने भगवान गणेश से कहा कि वो उसे इतनी ताकत दे दें कि वो अपने पैरों पर खड़ा हो सके और अपने माता-पिता के साथ कैलाश आ सके.

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