पेरिस: फ्रांस ने हाल ही में परमाणु हमला करने में सक्षम लड़ाकू विमानों की संख्या बढ़ाने की घोषणा की है. राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने बताया कि देश के चौथे एयरबेस लक्सेउइल को परमाणु-सक्षम राफेल विमानों के लिए तैयार किया जाएगा. इससे यह सवाल उठने लगा है कि फ्रांस को आखिर किस खतरे का अंदेशा है? क्या यूरोप की सुरक्षा को लेकर कोई नई रणनीति बनाई जा रही है?
फ्रांस को किस बात की चिंता सता रही है?
फ्रांस की यह पहल यूरोप में बढ़ते तनाव और यूक्रेन युद्ध के कारण उभर रहे खतरों की ओर इशारा करती है. दो मुख्य कारणों से फ्रांस ने अपनी परमाणु क्षमता को दोगुना करने का फैसला किया है:
रूस का संभावित खतरा:
अमेरिकी सहयोग को लेकर अनिश्चितता:
कब तैनात होंगे परमाणु-सक्षम राफेल विमान?
फ्रांस के रक्षा अधिकारियों के अनुसार:
क्या फ्रांस की परमाणु हवाई ताकत दोगुनी होगी?
फ्रांस के नए फैसले के बाद यह सवाल उठ रहा है कि क्या मौजूदा 40 परमाणु-सक्षम राफेल विमानों के अलावा अतिरिक्त 40 और तैनात किए जाएंगे? अगर ऐसा होता है, तो फ्रांस की परमाणु हवाई ताकत दोगुनी हो जाएगी.
फ्रांस के पास जमीन से या समुद्री जहाजों से लॉन्च होने वाली परमाणु मिसाइलों का विकल्प सीमित है, जिससे परमाणु क्षमता वाले लड़ाकू विमानों की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है.
क्या फ्रांस पूरे यूरोप की सुरक्षा का नेतृत्व करेगा?
फ्रांस की परमाणु शक्ति क्यों है अहम?
फ्रांस एकमात्र यूरोपीय देश है जिसके पास स्वतंत्र रूप से हवाई परमाणु हमला करने की क्षमता है. ब्रिटेन पूरी तरह पनडुब्बियों पर निर्भर है, जबकि जर्मनी, इटली, बेल्जियम, नीदरलैंड और तुर्की अमेरिकी परमाणु हथियारों के साझा कार्यक्रम पर निर्भर हैं.
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