नई दिल्ली: जब दो पड़ोसी देश जिनके बीच हजारों किलोमीटर की सीमा हो, जिनकी आबादी कुल मिलाकर दुनिया की एक तिहाई हो और जिनकी आर्थिक व सामरिक ताकत वैश्विक मंच पर निर्णायक मानी जाती हो वे अगर एक मंच पर साथ आएं, तो यह सिर्फ एक मुलाकात नहीं होती, बल्कि इतिहास में दर्ज होने वाला क्षण बन जाता है.
ऐसा ही कुछ हुआ चीन के तियानजिन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन 2025 में, जब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग आमने-सामने हुए. यह मुलाकात सिर्फ औपचारिक बातचीत नहीं थी, बल्कि उन मुद्दों पर गहन चर्चा थी जिनका सीधा संबंध दोनों देशों के वर्तमान और भविष्य से है.