आजकल जब दुनियाभर में वर्क-लाइफ बैलेंस को लेकर चर्चा हो रही है, और 70 से 90 घंटे के कामकाजी समय पर बहस हो रही है, मस्क ने 120 घंटे काम करने के विचार को प्रोत्साहित किया है. उन्होंने अपनी टीम को भी इस काम के लिए प्रेरित किया है.
एलन मस्क, जो टेस्ला के संस्थापक हैं, को अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा एक महत्वपूर्ण भूमिका सौंपी गई है. एक नया विभाग, 'डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशियंसी' (DOGE) स्थापित किया गया है, जिसका नेतृत्व मस्क को सौंपा गया है. इस विभाग का मुख्य उद्देश्य सरकारी खर्चों को कम करना है.
क्या बोले एलन मस्क?
हाल ही में मस्क ने दावा किया कि DOGE के कर्मचारी हफ्ते में 120 घंटे तक काम कर रहे हैं. इसका मतलब है कि कर्मचारी हर दिन 17 घंटे काम कर रहे हैं. मस्क ने यहां तक कहा कि जो लोग 40 घंटे काम करने का समर्थन करते हैं, वे शायद सफलता नहीं प्राप्त कर पाएंगे.
मस्क ने DOGE के काम की सराहना की और बताया कि इस विभाग ने अपनी शुरुआत के पहले दो हफ्तों में ही पिछले सरकारी अधिकारियों द्वारा कराए गए लाखों डॉलर के फर्जी खर्चों का खुलासा किया. मस्क का कहना है कि यह घोटाला दशकों से चल रहा था और अब इसे समाप्त किया जाएगा.
सोशल मीडिया पर गर्माए लोग
हालांकि, उनके 120 घंटे काम करने वाले बयान को लेकर सोशल मीडिया पर दो खेमे बन गए हैं. एक ओर लोग मस्क की कड़ी मेहनत और नेतृत्व की सराहना कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कई लोग यह मानते हैं कि इतना अधिक काम करना मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है. आलोचकों ने मस्क को "खराब बॉस" तक कह दिया है.
अत्यधिक काम के घंटों पर बहस केवल अमेरिका तक सीमित नहीं है. भारत में भी, इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति जैसे व्यापारिक नेताओं ने इसी तरह की चर्चाओं को हवा दी है. मूर्ति ने युवाओं से हफ्ते में 70 घंटे काम करने की अपील की. इसके बाद एलएंडटी के सीईओ एस. एन. सुब्रमण्यम ने 90 घंटे काम करने की बात कही. इन टिप्पणियों ने पूरे देश में काम और स्वास्थ्य के संतुलन पर बहस को जन्म दिया है.
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