रायपुर: प्रवर्तन निदेशालय रायपुर ने छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले में चल रही मनी लॉन्ड्रिंग जांच में दो व्यक्तियों, अरविंद सिंह और त्रिलोक सिंह ढिल्लों को गिरफ्तार किया है.
सिंह और ढिल्लों को पीएमएलए, 2002 के प्रावधानों के तहत 1 जुलाई को गिरफ्तार किया गया था, उन्हें 6 जुलाई तक ईडी की हिरासत में भेज दिया गया है.
1 जुलाई को अरविंद और त्रिलोक को गिरफ्तार किया
केंद्रीय जांच एजेंसी ने एक्स पर पोस्ट किया, "ईडी, रायपुर ने छत्तीसगढ़ राज्य में शराब घोटाले में चल रही मनी लॉन्ड्रिंग जांच में पीएमएलए, 2002 के प्रावधानों के तहत 1 जुलाई, 2024 को अरविंद सिंह और त्रिलोक सिंह ढिल्लों को गिरफ्तार किया है."
इसमें कहा गया है, "अरविंद सिंह और त्रिलोक सिंह ढिल्लों को 1 जुलाई, 2024 को सेंट्रल जेल रायपुर में गिरफ्तार किया गया था और बाद में माननीय विशेष न्यायालय (पीएमएलए), रायपुर ने 6 जुलाई, 2024 तक ईडी की हिरासत दे दी थी."
कथित 2000 करोड़ रुपये के शराब घोटाले से जुडा मामला
इससे पहले मई में, ईडी ने राज्य में कथित 2000 करोड़ रुपये के शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में लगभग 205.49 करोड़ रुपये की 18 चल और 161 अचल संपत्तियों को अस्थायी रूप से जब्त कर लिया था.
केंद्रीय जांच एजेंसी ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की विभिन्न धाराओं के तहत राज्य पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर के आधार पर शराब घोटाले पर एक नई प्रवर्तन मामले की सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) दर्ज की.
लगभग 205.49 करोड़ रुपये की संपति जब्त की गई
ईडी ने एक बयान में कहा, "कुर्क की गई संपत्तियों में पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा की 15.82 करोड़ रुपये की 14 संपत्तियां, अनवर ढेबर की 116.16 करोड़ रुपये की 115 संपत्तियां, विकास अग्रवाल की 1.54 करोड़ रुपये की 3, अरविंद सिंह की 12.99 करोड़ रुपये की संपत्ति, अरुणपति त्रिपाठी की 1.35 करोड़ रुपये की संपत्ति, त्रिलोक सिंह ढिल्लों की 28.13 करोड़ रुपये की 9 संपत्तियां, नवीन केडिया की 27.96 करोड़ रुपये की चल संपत्ति शामिल है."
अनवर ढेबर की कुर्क की गई संपत्तियों में होटल वेनिंगटन कोर्ट, रायपुर शामिल है, जो उनकी फर्म मेसर्स ए ढेबर बिल्डकॉन के तत्वावधान में चलाया जाता है और 'एकॉर्ड बिजनेस टॉवर' के नाम से एक व्यावसायिक इमारत है.
ईडी के अनुसार, 2019 और 2022 के बीच चले शराब घोटाले में भ्रष्टाचार कई तरीकों से किया गया था, जिसमें छत्तीसगढ़ राज्य विपणन निगम लिमिटेड (राज्य निकाय) द्वारा डिस्टिलर्स से खरीदी गई शराब के प्रति मामले में रिश्वत भी शामिल थी.
अवैध शराब सरकारी दुकानों में बेची गई थी
घोटाला करने वाले कथित गिरोह ने बेहिसाब देशी शराब भी बेची, और इसकी बिक्री को किताबों से दूर रखा गया, जिसके परिणामस्वरूप राज्य के खजाने में एक भी रुपया नहीं पहुंचा और बिक्री की सारी आय सिंडिकेट की जेब में चली गई. ईडी ने कहा कि अवैध शराब सरकारी दुकानों में बेची गई थी.
डिस्टिलर्स से रिश्वत भी वसूली गई ताकि उन्हें कार्टेल बनाने और एक निश्चित बाजार हिस्सेदारी हासिल करने की अनुमति मिल सके. जांच एजेंसी ने कहा कि विदेशी शराब के लाइसेंस प्राप्त डीलरों से भी कमीशन लिया गया था.
इससे पहले अनिल टुटेजा को 21 अप्रैल को गिरफ्तार किया गया था और फिलहाल वह ईडी की हिरासत में हैं.