'पहले नकल कराने के लिए वोट मांगे जाते थे, हमने इसे खत्म किया', UP के शिक्षामंत्री का पूर्व की सरकारों पर तंज

    उत्तर प्रदेश के शिक्षा मंत्री योगेद्र उपाध्याय और श्रम कल्याण परिषद राज्य मंत्री सुनील बराला ने अपने-अपने क्षेत्र में हासिल उपलब्धियों को गिनाया. मंत्री उपाध्याय ने शिक्षा को नकल युग निकालकर ग्रेडिंग युग में लाने की बात कही.

    Earlier votes were sought for cheating we ended it UP Education Minister taunts the previous governments
    Bharat 24 Agra Conclave/Photo- Bharat 24

    नई दिल्ली/आगरा : उत्तर प्रदेश के शिक्षा मंत्री योगेद्र उपाध्याय और श्रम कल्याण परिषद राज्य मंत्री सुनील बराला ने अपने-अपने क्षेत्र में हासिल उपलब्धियों को गिनाया. मंत्री उपाध्याय ने शिक्षा को नकल युग निकालकर ग्रेडिंग युग में लाने की बात कही. उन्होंने कहा कि यूपी में शिक्षा का हाल ऐसा बन रहा है कि यहां देश-विदेश के छात्र आ रहे हैं. अब यूपी के गरीब छात्र भी विदेश वाली शिक्षा हासिल कर सकेंगे. वहीं श्रम कल्याण राज्यमंत्री ने श्रमिकों के लिए अपनी सरकार में उठाए गए कदमों कि बात करते हुए कहा कि हमने ई-श्रम कार्ड यूपी के 8 करोड़ 31 लाख श्रमिकों को दिए हैं. उनके उत्थान के लिए लगातार काम कर रहे हैं. दोनों मंत्रियों ने आज आगरा में आयोजित भारत 24 के 'समग्र भारत' कॉन्क्लेव कार्यक्रम में ये बातें कही. 

    उत्तर प्रदेश के शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय और श्रम कल्याण परिषद राज्यमंत्री सुनील भराला हमारी पत्रकार पूजा यादव ने इस शो का संचालन किया. भारत 24 के कंसल्टिंग एडिटर शिशिर अवस्थी ने स्वागत किया. 

    ये बातें उन्होंने भारत 24 के उत्तर प्रदेश के आगरा में आयोजित समग्र भारत के कार्यक्रम में कही. उभरता भारत, बढ़ता उत्तर प्रदेश. 

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    सवाल- मंत्री योगेंद्र उपाध्याय से यह सवाल कि आप शिक्षा मंत्री है और अपनी उपलब्धियों को 1, 2 और 3 पर क्या रखते हैं?

    जवाब: मंत्री ने कहा सीएम योगी से पहले उत्तर प्रदेश की जो शिक्षा व्यवस्था थी वो शर्मनाक लोगों के हाथ में थी. उनका इशारा पहले की अखिलेश सरकार और मायावती की सरकार की ओर था. उन्होंने कहा, वे लोग कहते थे कि आप हमको वोट दीजिए हम आपको नकल का अधिकार देंगे. इस व्यवस्था ने उत्तर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को चौपट कर दिया था. 

    योगी जी ने अपने पहले कार्यकाल में इसे ढर्रे पर लाए और आज यह पटरी पर दौड़ रही है. जब से योगी जी ने हमें ये जिम्मेदारी दी है तब से आशातीत सफलताएं मिली हैं. 

    इससे पहले यूपी का कोई विश्वविद्यालय NAAC (National Assessment and Accreditation Council राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद) रैंकिंग में नहीं था. न ही यूजीसी की कोई ग्रेड थी. सरकारी विश्वविद्यालय 7 ए प्लस-प्लस की ग्रेडिंग पा चुके हैं. चार ए प्लस ग्रेडिंग पा चुके हैं.

    इसमें 6 निजी विश्वविद्यालय ए प्लस और चार ए पा चुके हैं. यूजीसी की ग्रेड 1 में दो विश्वविद्यालय आ चुके हैं. इंटरनेशनल ग्रेडिंग की ओर हमारे 2-3 विश्वविद्यालय बढ़ रहे हैं. 

    आज भारत के जितने भी राज्य हैं सबसे ज्यादा ग्रेडिंग पाने वाले विश्वविद्यालय उत्तर प्रदेश के हो गए हैं. और यही वजह है कि आज लखनऊ विश्वविद्यालय में 80 विदेशी छात्र पढ़ते थे आज 800 विदेशी छात्र पढ़ रहे हैं. धीरे-धीरे उत्तर प्रदेश शिक्षा का हब बन रहा है. 

    आश्चर्य की बात है आजादी के 70 साल बाद यूपी के 6 मंडल ऐसे थे जहां एक भी विश्वविद्यालय नहीं थे. योगीजी ने संकल्प पत्र में लिखा आने वाले इन सभी में हम विश्वविद्यालय देंगे. प्रतिस्पर्धा और गुणवत्ता के लिए निजी विश्वाविद्यालय को आमंत्रित करेंगे.

    आज इस कार्यकाल के 2 साल में या यहां विश्व विद्यालय चल रहे हैं या निर्माणाधीन हैं. लगभग 25 ऐसे विश्व विद्यालय हैं जिन्हें एलओपी एलवाई मिल चुकी है. जो आने वाले समय में उत्तर प्रदेश को शिक्षा का हब बनाएंगे. इसके तहत अंतराराष्ट्रीय स्तर की संस्थाएं अपने विश्वविद्यालय यूपी में खोल रही हैं. 

    हम लोग हर जिले में एक विवि के लिए नीति तैयार कर रहे हैं. इससे अंतिम छोर पर बैठे व्यक्ति तक शिक्षा पहुंचेगी. अब यूपी में देश-विदेश के छात्र आकर पढ़ेंगे, जो कि हमारे छात्र पहले जाते थे. ये हमारी सरकार की उपलब्धि है.

    सवाल- यूपी में लोकसभा के नतीजे पार्टी के उम्मीद नहीं थी, काफी आत्ममंथन हो चुका है क्या कोई वजह सामने आई?

    जवाब- यूपी के श्रम कल्याण परिषद राज्यमंत्री सुनील भराला ने कहा- हां नतीजे हमारी आशा के विपरीत हैं और जनता के विपरीत भी हैं. अगर मतदाताओं की बात करें तो उनमें ज्यादा अंतर नहीं आया है. लेकिन हां हमारी 29 सीटें कम हुई हैं. कुछ सीटें हम बहुत कम मार्जिन से हारे हैं. लेकिन इन नतीजों से हमारे अंदर कोई घबराहट नहीं है. हम इससे भी नीचे नतीजे देखे हैं. हम यहां तक जीरो से आए हैं. हम इसलिए चिंता नहीं करते क्योंकि हम परिश्रम में विश्वास करते हैं. हम इसे ठीक करेंगे, जनता ने हमें अवसर दिया है. 

    2027 के चुनाव में हम 2017 वाली स्थिति बना लेंगे, ऐसा हमारा विश्वास है. इन नतीजों से हमें सीखने को मिला है. 

    सवाल- शिक्षामंत्री से सवाल है कि यूपी में शिक्षकों की कमी है, इस पर आपका क्या कहना है, पहले तो अपने छात्र को प्रेरित करेंगे तब न बाहर के छात्र आएंगे?

    जवाब- कहीं पर शिक्षकों की कमी नहीं है, जहां पर है वहां संविदा पर शिक्षक रखे गए हैं. नई वैकेंसी भी क्रिएट हो रही है. हाल ही में हमने विश्वविद्यालय को पद सृजन के निर्देश दिए हैं, वहां जल्द ही शिक्षक भरे जाएंगे. जो छात्र विदेश पढ़ने जाते थे उन सब्जेक्ट को अपनी यूनिवर्सिटी में पढ़ाने के लिए विदेशी विवि को आमंत्रित कर रहे हैं कि वे अपनी फैकल्टी खोलें. ताकि गरीब छात्र जो जाने में सक्षम नहीं था उसको यहीं शिक्षा मिल जाए. 

    पहाड़ी राज्यों में बीजेपी को चुनाव में फायदा हुआ लेकिन मैदानी इलाकों में बीजेपी पीछे क्यों रह गई?

    ऐसा नहीं है कि पहाड़ी राज्यों में हमारे लिए प्यार ज्यादा था और यूपी में कम. दरअसल विपक्ष के समीकरण की बात है. पीएम मोदी के नारे को पहाड़ के लोगों ने हाथों हाथ लिया और बीजेपी को जमकर वोट दिया. मैदानी इलाकों में कुछ मुद्दे बने, मतों विभाजन हुआ और वह नतीजों में दिख रहा है. 

    प्रश्न- जिसके पास हुनर है उसके पास रोजगार के अवसर हैं, क्या हमारी नई शिक्षा नीति इस दिशा में आगे बढ़ रही है?

    जवाब- मंत्री उपाध्याय ने कहा- अब तक हिंदुस्तान में लार्ड मैकाले (अंग्रेज) की शिक्षा नीति से देश में शिक्षा दी जा रही थी. काले अंग्रेज पैदा करने वाली शिक्षा नीति थी, जिसका न तो हमारी संस्कृति से वास्ता था, न संस्कारों न ही यहां कि चित और प्रकृति से था. 

    पीएम मोदी ने कोविड के समय एनईपी 2020 शिक्षा नीति दी. इसमें शिक्षा को संस्कार से जोड़ना, रोजगार से जोड़ना, शिक्षा को तकनीक से जोड़ना इस फ्रेमवर्क में सारे पाठ्यक्रम व कार्यक्रम बन रहे हैं.  ये आतीत और वर्तमान और भविष्य से जोड़ने वाली होगी. 

    सवाल- श्रम कल्याण परिषद की बात करें तो बराला जी श्रमिक आज भी आगे नहीं बढ़ पाए हैं? उनके लिए आपने क्या काम किए?

    जवाब- श्रमिक बहुत दबे-कुचले व शिक्षा के अभाव में वाले परिवार से आते हैं. 2019 से पीएम मोदी ने ई-श्रम कार्ड के जरिए काम किया, श्रेणीवार चाय बगान से लेकर 36 प्रकार के श्रमिक इसमें आते हैं. इसमें कृषि, रेहड़ी-ठेली पटरी वाले तक शामिल हैं. होटल पर काम करने वाले कारीगर से लेकर, घरेलू कामगार से लेकर के और मोची तक इसमें शामिल हैं. 

    हमने 8 करोड़ 30 लाख ऐसे श्रमिकों को चिन्हित करे पंजीयन कराए थे. इस लिहाज से पूरे देश में उत्तर प्रदेश नंबर एक बना. उनके लिए कई स्कीमें बनाई. संगठित और असंगठित क्षेत्र. संगठित क्षेत्र में कारखाने, फैक्ट्री, वाणिज्य की दुकानें, मॉल आदि हैं. यह विजन दत्तो पंत ठेकड़े जी का था, जिसे हम लोग लागू कर रहे हैं. 

    हमारे प्रधानमंत्री अटल विहारी वाजपेयी ने इस आवाज को उठाया था. 1996 में सैस के नाम से योजना शुरू की गई थी और इसके जरिए आने वाले पैसे को इनके कल्याण के लिए लगाने का फैसला किया गया था. 

    लेकिन इस कानून को राज्यों सरकारों ने लागू नहीं किए. मैं मजदूर महासंघ में रहते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, फिर ये 2010 में लागू किया गया. 

    इसको लेकर दो दर्जन योजनाएं हैं. इसमें श्रमिक परिवार के घर में बच्ची के जन्म पर शिक्षा की योजना का लाभ मिल रहा है. श्रम क्लायण परिषद की वेबसाइट पर भी 10 योजनाओं का लाभ लिया जा सकता है. इसके तहत एक बच्चे को प्रति वर्ष 25 हजार मिलेंगे. यही नहीं हमने जन्म से लेकर उसकी मृत्यु तक चिंता की है. 

    यही नहीं हाल में पेश बजट में देश के 3 करोड़ झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले परिवारों के कल्याण के लिए योजनाओं के क्रियान्वयन का प्रावाधान किया है. इन्हें पक्के मकान दिए जा रहे हैं. 

    बस मजदूरों को इसके लिए जागरूक करने की जरूरत हैं क्योंकि उन्हें नहीं पता कि उनके लिए ऐसी योजना चल रही है. यह योगी जी का प्रयास है कि पैसा जो दलाल खा जाते है अब यह सीधे उनके अकाउंट में जाता है. 2014 में जन-धन खाते पीएम मोदी जी ने इसीलिए खुलवाए थे.

    यूपी सरकार को लेकर आज कल खटपट चल रही है, कहीं दिल्ली दौड़ चल रही है. वार-पलटवार जारी है, क्या है ये सब?

    इस चुनाव में मोदी और योगी के खिलाफ एंटी इनकैम्बेंसी नहीं लेकिन विपक्ष के लोग भ्रम फैलाने में सफल हुए. मार्च से पहले सबका कहना था कि हमारी सीटें 400 पार होंगी, लेकिन संविधान बदलने, आरक्षण खत्म करने, चुनाव को राष्ट्रीय स्तर की जगह संकीर्णता की ओर ले गए, उन्होंने राष्ट्र और आने वाली पीढ़ियों के लिए पाप किया है. 

    हम जो कर रहे हैं वह जनता को मालूम है. राजनीति में जोकरपन को खत्म किया जाना चाहिए, एक ओर भ्रम फैला रहे कि 100 ले आओ और सरकार बनाओ. जबकि इस पर एंटी डिफेक्शन बिल काम करेगा और लोगों की मेंबरशिप खत्म हो जाएगी. इसलिए जोकरपने की राजनीति खत्म होनी चाहिए. जबकि पार्टी के अंदर कोई गतिरोध नहीं है. 

    अग्निवीर योजना में आरक्षण आदि को विपक्ष अपना दबाव सफल होने की बात कह रहा है?

    देखिए जनता के हित में जो बात हो उसे मानने में कोताही नहीं करनी चाहिए. अग्निवीर योजना बहुत अच्छी है. 

    संसद में शोर चल रहा है बराला जी इस पर आप क्या कहेंगे, कार्यवाही नहीं हो पाती?

     श्रम कल्याण परिषद राज्य मंत्री सुनील बराला ने कहा, ये लोकतंत्र है. संसद में विपक्ष का आवाज उठाना ठीक है, लेकिन जिस तरह अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल हो रहा है, विपक्षी जो मर्यादा तोड़ रहा है. उससे जरूर बचा जाना चाहिए क्योंकि हम सभी का एक ही लक्ष्य है समृद्ध भारत हो. जनता सब देख रही है. संसद अच्छे काम के लिए होनी चाहिए, गरीबों के लिए कानून बनने के लिए होनी चाहिए. 

    सवाल- पिछले दिनों आपके बयान और वाकपटुता ने पार्टी को कष्ट दिया, आपने ऐसा बयान क्यों दिया?

    जवाब- जो खामियां दिखें लोकतंत्र में उसे बोला जाना चाहिए. लेकिन यह मंच उन खामियों को बताने के लिए नहीं है. पार्टी कुर्सी से बड़ी है. अगर हमारी पार्टी को नुकसान होगा तो हम कुर्सी को लात मार देंगे.

    बजट में बिहार और आंध्र प्रदेश को खास पैकेज मिला लेकिन यूपी को नहीं, विपक्ष यूपी की लिए भी कुछ मांग रहा है. क्या यूपी को और कुछ दिए जाने की जरूरत है?

    जवाब- मंत्री योगेद्र ने कहा- जितनी जनसंख्या है उसके अनुपात में बजट दिया जाना चाहिए. आंध्रा भी बड़ा राज्य है. उत्तर प्रदेश और बिहार भी बड़ा राज्य है. पहले यूपी को ज्यादा मिला, इस बार उनको ज्यादा मिल गया. इसमें राजनीति नहीं होनी चाहिए. इस पर सरकारात्मक नजरिया अपनाया जाना चाहिए. ममता समेत बाकी लोगों के आरोप प्रत्यारोप की आदत है. ये बजट गांव, गरीब, किसान और बेरोजगार के लिए है, नौजवान, नारी के सम्मान, उद्योगों के उत्थान के लिए है. इनोवेशन के अनुसंधान और आने वाली पीढ़ी को नया आयाम देने वाला है. इस बजट को समग्र दृष्टि से देखा जाना चाहिए.

    क्या आप नहीं मानते कि यूपी को विशेष पैकेज की जरूरत है?

    जवाब- यूपी को पार्याप्त धन मिल रहा है, यूपी अपने आप में इस समय सक्षम है. सबसे बड़ा बजट उत्तर प्रदेश लेकर आ रहा है, टैक्स भी हम नहीं बढ़ा रहे हैं. मोदी जी सबका साथ सबका विकास, सबके विश्वास के साथ आगे बढ़ रहे हैं.

    प्रश्न- यहां बैठे लोग बताएं कि सरकारी स्कूलों में उनके बच्चे पढ़ते हैं, नहीं. तो सरकारी स्कूलों में विदेशों से बुलाया जा रहा है, लेकिन उनका ढांचा बेहतर नहीं किया जा रहा. लोग निजी स्कूलों की मनमानी के शिकार हैं, लेकिन लोग सरकारी स्कूल में बच्चों को नहीं भेज रहे हैं?

    जवाब- सरकारी विवि और स्कूलों को हम धीरे-धीरे उस स्तर पर ला रहे हैं कि जब यहां हर तरह के छात्र पढ़ेंगे. अब हम नैक ग्रेडिंग में कॉलेजों को जोड़ रहे हैं. ये भी इस स्तर पर आने की कोशिश करेंगे.

    सवाल- पेपर लीक के मामले ने लोगों के जेहन में यूपी की शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर दिया है?

    जवाब- पहले जो पेपर लीक होते थे, राजनैतिक संरक्षण प्राप्त गिरोह करते थे. इसमें राजनैतिक व्यक्ति खुद शामिल होते थे. मैं जब शिक्षामंत्री बना तो पहले एक-दो पेपर लीक हुए लेकिन उसके बाद एक भी पेपर लीक नहीं हुआ. क्योंकि मैंने पेपर वितरण को टेक्नोलॉजी से जोड़ा.

    मैंने वीसी को बुलाया पूछा के पेपर वितरण कैसे होता है तो उन्होंने बताया पहले नोडल सेंटर पर पेपर जाते हैं फिर वहां से परीक्षा केंद्रों पर जाते हैं. ये सभी कार, टैक्सी से परीक्षा केंद्रों पर भेजे जाते हैं. फिर सवाल किया कि अगर 7 बजे का एग्जाम होगा तो नोडल सेंटर से पेपर 4 बजे निकलते होंगे तो उन्होंने कहा हां ऐसा ही होता है. 

    लेकिन अब मैंने व्यवस्था की है कोई भी नोडल सेंटर परीक्षा केंद्र से आधे घंटे की अधिक दूरी पर नहीं होना चाहिए. दूसरी बात हर एग्जाम सेंटर पेपर एक टैक्सी लेकर जाएगी और उसमें जीपीएस सिस्टम होगा. जो आब्जर्वेशन में रहे कि पेपर कहां जा रहा है. पहले गत्ते के कार्टून में जाते थे अब टिन के कार्टून ये प्रश्नपत्र भेजे जाएं ऐसी व्यवस्था कराई गई है.

    और नोडल सेंटर पर डिजिटल लॉक है जो वीसी के ऑपरेट करने से ऑपरेट होगा. और जब लॉक खुलेगा तो एक छात्र, टीचर और एक चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी के मौजूदगी में खुलेगा. अब इससे पेपर लीक की घटना नहीं हो रही है और अगर होगी तो दोषी बख्शे नहीं जाएंगे. पहले दोषियों को भरोसा था कि हम राजनीतिक संरक्षण से खुद को बचा लेंगे. अब उत्तर प्रदेश में विवि स्तर और माध्यमिक शिक्षा स्तर से कोई पेपर लीक नहीं हो रहा है.

    प्रश्न- बाराला जी पार्टी में अब सब कुछ ठीक है न?

    जवाब- पार्टी में कुछ गड़बड़ था ही नहीं. इस देश के अंदर अगर किसी पार्टी की मिसाल है तो हमारी भारतीय जनता पार्टी की मिसाल है. पार्टी में कोई दिक्कत नहीं है, हां मीडिया में चर्चा जरूर रहती है. हमारी पार्टी कभी टूटी नहीं है जबकि कांग्रेस के कई हिस्से हो चुके हैं. बाकी दल टूटे लेकिन हमारी पार्टी नहीं. आजाद भारत के बाद आज तक हमारी पार्टी में न टूट हुई, न है और न होगी. 

    प्रश्न- उपचुनाव के लिए आपकी क्या तैयारियां है?

    जवाब- हमारी पार्टी की जो सीटें उन्हें तो हम जीतेंगे, जबकि सपा और बाकी पार्टियों की जो सीटें हैं उन्हें भी जीतेंगे. उपचुनाव का एक ऐतिहासिक रिजल्ट आएगा. विपक्ष को अपनी सीटें बचानी भारी पड़ जाएंगी.  

    गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव के बाद खाली हुई यूपी की 10 सीटों पर उपचुनाव होना है, जिसके लिए एक तरफ जहां इंडिया गठबंधन के तहत सपा और कांग्रेस मैदान में होंगी तो वहीं दूसरी तरफ एनडीए होगा.

    प्रश्न- क्या रणनीति है, क्योंकि इनमें से ज्यादातर सीटें तो समाजवादी पार्टी की हैं?

    जवाब- शिक्षामंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने इस सवाल के जवाब में कहा- कुल 10 सीटों में 5 सीट हमारी हैं और 5 सीट उनकी हैं. हम अपनी सीटों में सेंध नहीं लगने देंगे, रही बात उनकी 5 सीटों की तो उनको भी हम छीन लेंगे. 

    इस चुनाव में जो अपेक्षित परिणाम न मिले क्योंकि इन्होंने भ्रम फैलाया. संविधान बदलने का, आरक्षण हटाने का जिससे एक वर्ग विशेष चुनाव को लेकर संकीर्णता में चला गया. दलित और पिछड़ा वर्ग. भ्रम ज्यादा दिन नहीं चलता, झूठ ज्यादा देर नहीं टिकता. यह भ्रम दूर हो रहा है. काठ की हाड़ी बार-बार नहीं चढ़ती. अब सबको समझ आ गया है कि मोदी जी की न तो संविधान बदलने और न ही आरक्षण खत्म करने की मंशा थी. 

    क्योंकि सबके दिल में राष्ट्रवाद है. ये लोग (विपक्ष) अपने लिए सोचते हैं और हम देश के लिए सोचते हैं. 

    एक नेता होते हैं जो चुनाव तक सोचते हैं, किसी तरह सरकार बनाने लिए जोकरों की तरह मानसून ऑफर जैसी बातें करते हैं लेकिन एक नेता होता है जो देश के लिए सोचता है, आने वाली नस्लों के लिए सोचता है. मेरे पास मोदी हैं, मेरे पास योगी हैं. 

    क्या फिर मोदी और योगी के नाम पर होग यह चुनाव बराला जी?

    सुनील बराला कहते हैं कि हमारा अपना प्रत्याशी नहीं हमारा निशान है, कमल. हमारे चेहरे हैं. योगी आदित्यनाथ जी हमारे चेहरे हैं, बीजेपी के नेतृत्व में चुनाव होगा. भारत के प्रधानमंत्री हैं उनका चेहरा है. हम ये सीटें जीतेंगे.

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