लखनऊ (उत्तर प्रदेश): उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने नववर्ष की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि वर्ष 2024 में अयोध्या में भगवान रामलला का भव्य मंदिर बना और सनातन की पताका लहराते हुए पूरे विश्व ने देखी. उन्होंने सभी सनातन भक्तों को 2025 में महाकुंभ मेले में आने के लिए आमंत्रित किया.
पाठक ने कहा, "मैं उत्तर प्रदेश के लोगों को वर्ष 2025 के लिए अपनी शुभकामनाएं देता हूं. 2024 में अयोध्या में भगवान रामलला का भव्य मंदिर बना. पूरे विश्व ने सनातन की पताका लहराते देखी. मैं सनातन धर्म में विश्वास रखने वाले सभी लोगों से 2025 की शुरुआत में महाकुंभ में स्नान करने का आग्रह करता हूं. सरकार ने सभी आवश्यक व्यवस्थाएं की हैं."
सांसद दिनेश शर्मा ने सीएम योगी की प्रशंसा की
इस बीच, भाजपा सांसद दिनेश शर्मा ने प्रयागराज में महाकुंभ 2025 से पहले धार्मिक पर्यटन के माध्यम से आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रशंसा की है और इसे एक 'अभूतपूर्व' प्रयास बताया है जो मान्यता का हकदार है.
कुंभ के लिए तैयारियों की कथित कमी के बारे में समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए, भाजपा सांसद ने एएनआई से कहा, "सीएम योगी के नेतृत्व में आयोजित पिछले कुंभ मेले की दुनिया भर में सराहना हुई थी. इस बार करीब 40 करोड़ लोगों के आने की उम्मीद है. कुंभ के बाद उन्हें 'योगी बाबा' नहीं, बल्कि 'अर्थ प्रबंधन बाबा' कहें. वह धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देकर अर्थव्यवस्था में सुधार कर रहे हैं. ऐसा काम अभूतपूर्व है और इसकी प्रशंसा की जानी चाहिए."
महाकुंभ 13 जनवरी से 26 फरवरी 2025 तक होगा
हर 12 साल में एक बार आयोजित होने वाला महाकुंभ 13 जनवरी को शुरू होगा और 26 फरवरी, 2025 को प्रयागराज में समाप्त होगा. मुख्य स्नान उत्सव, जिन्हें शाही स्नान के रूप में जाना जाता है, 14 जनवरी (मकर संक्रांति), 29 जनवरी (मौनी अमावस्या), और 3 फरवरी (बसंत पंचमी) को होंगे.
महाकुंभ 2025 में 10 जनवरी से 24 फरवरी तक भारत की सांस्कृतिक विविधता का जीवंत प्रदर्शन किया जाएगा.
प्रयागराज में प्रमुख स्थानों पर 20 छोटे मंच स्थापित होंगे
एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश संस्कृति विभाग इस अवधि के दौरान भारत की समृद्ध लोक कलाओं को प्रस्तुत करने की तैयारियों को अंतिम रूप दे रहा है. संस्कृति विभाग पूरे प्रयागराज में प्रमुख स्थानों पर 20 छोटे मंच स्थापित करेगा, जिससे पर्यटकों, भक्तों और स्थानीय लोगों को 45 दिनों तक देश की विविध सांस्कृतिक विरासत का अनुभव मिल सके. इन मंचों पर भारत भर के विभिन्न राज्यों के लोक नृत्य रूपों का प्रदर्शन किया जाएगा.
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