Delhi Civil Defense Volunteers: दिवाली से पहले दिल्ली के सिविल डिफेंस वॉलंटियर्स के लिए बुरी खबर है. इस साल अप्रैल से रोके गए अपने वेतन को तुरंत जारी करने की मांग को लेकर लगातार किए जा रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच दिल्ली सरकार के 40 विभागों में लगे 10,000 से अधिक सिविल डिफेंस वॉलंटियर्स की सेवाएं जल्द ही समाप्त होने की संभावना है. बकाया वेतन के लिए इन दिनों सड़क पर आंदोलन कर रहे सिविल डिफेंस वॉलंटियर्स (सीडीवी) को बड़ा झटका लग सकता है.
सीडीवी की नियुक्तियों पर विरोधी राजनीतिक दल लगातार दिल्ली सरकार पर सवाल उठाते रहे हैं.अब मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने खुद ही नियुक्ति प्रक्रिया की खामियों को देखते हुए इन्हें बर्खास्त करने की सिफारिश की है. इसके साथ ही इन वॉलंटियर्स को अप्रैल से वेतन न मिलने पर निराशा जताते हुए वेतन में देरी करने वाले अधिकारियों के खिलाफ भी कड़े एक्शन की सिफारिश की है. हालांकि दिल्ली सरकार ने इस तरह की सिफारिश करने से इनकार किया है.
एक अनुमान के मुताबिक, दिल्ली में इन सिविल डिफेंस वॉलंटियर्स को सालाना 400 करोड़ रुपये वेतन के रूप में दिए जाते हैं, जिसमें से 280 करोड़ रुपये केवल बस मार्शलों को दिए जाते हैं. हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि राजधानी में उनके द्वारा किया जा रहा काम सिविल डिफेंस एक्ट के अनुरूप नहीं है. इस साल अप्रैल से अपना वेतन रोके जाने के कारण सिविल डिफेंस वॉलंटियर्स ने हाल ही में राजनिवास, मुख्यमंत्री और राजस्व मंत्री के आवास और दिल्ली सचिवालय के पास विरोध प्रदर्शन किए हैं. एक अधिकारी ने कहा कि इन वॉलंटियर्स की उनकी अनिवार्य जिम्मेदारियों और कार्यों के विरुद्ध तैनाती को विभिन्न विभागों द्वारा अवैध माना गया था और उनके वेतन को रोक दिया गया था.
10,792 सिविल डिफेंस वॉलंटियर्स में से 8,574 को परिवहन विभाग ने डीटीसी और क्लस्टर बसों में बस मार्शल के रूप में नियुक्त किया है. राजस्व, एमसीडी, पर्यावरण, खाद्य एवं आपूर्ति, व्यापार एवं कर और चुनाव अन्य विभाग हैं जो इन सिविल डिफेंस वॉलंटियर्स की सेवाएं लेते हैं. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने यह भी सिफारिश की है कि सिविल डिफेंस वॉलंटियर्स की भविष्य की सभी भर्ती "उचित प्रक्रिया के माध्यम से की जाएगी, न कि एडहॉक तरीके से " जैसा कि वर्तमान में किया जा रहा है. दिल्ली सरकार की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी है.
सिविल डिफेंस वॉलंटियर्स की मूल भूमिका स्थानीय प्रशासन की सहायता करना है, लेकिन वे अलग-अलग कार्यों में लगे हुए हैं, जिनमें 'रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ' जैसे अभियानों में प्रशासन की सहायता करना और उप रजिस्ट्रार कार्यालयों में विविध कार्यों में सहायता करना शामिल है. महामारी के दौरान उन्होंने फ्रंटलाइन वर्कर्स की भूमिका निभाई और हॉटस्पॉट की स्क्रीनिंग, खाना बांटने, भीड़-भाड़ वाले स्थानों और टीकाकरण स्थलों पर सोशल डिस्टेंसिंग सुनिश्चित करने में सरकार की मदद की थीं.
मुख्यमंत्री ने अपनी सिफारिश में कहा है कि सीडीवी (CDV) के मामले में सही कानूनी स्थिति का पता लगाया जाए तब तक सिविल डिफेंस वॉलंटियर्स को अक्टूबर के अंत में बर्खास्त किया जा सकता है. हालांकि इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने कहा है कि ये वॉलंटियर्स गरीब परिवारों से आते हैं और इन्हें पैसे की जरूरत है इसलिए ये लोग अस्थायी नौकरी कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि इन वॉलंटियर्स का वेतन रोकने वाले अफसरों के खिलाफ भी कड़ा एक्शन लेने की सिफारिश की है.
* कथित तौर पर संवेदनशील पदों पर सीडीवी की नियुक्तियों को अवैध मानते हुए उनका वेतन रोक दिया गया था.
* त्योहारों के बीच उनकी नौकरी जा सकती है. कायदे से सीडीवी का प्राथमिक उद्देश्य आपदाओं के समय इमरजेंसी सेवाओं को सपोर्ट करना होता है लेकिन इन्हें कई ऐसी जगहों पर तैनात किया गया, जहां तैनाती के लिए ये योग्य नहीं थे.
* ये आरोप है कि सिविल डिफेंस एक्ट (Civil Defence Act ) के तहत जो कार्य इनसे लिया जाना चाहिए, उससे इतर ये कार्य कर रहे थे.
* इनमें रेवेन्यू डिपार्टमेंट के सब रजिस्ट्रार ऑफस से लेकर डीटीसी बसों में मार्शल और रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ जैसे अभियान शामिल हैं.
* त्योहारों के बीच उनकी नौकरी जा सकती है. कायदे से सीडीवी का प्राथमिक उद्देश्य आपदाओं के समय इमरजेंसी सेवाओं को सपोर्ट करना होता है लेकिन इन्हें कई ऐसी जगहों पर तैनात किया गया, जहां तैनाती के लिए ये योग्य नहीं थे.
* सीडीवी के वेतन पर सालाना 400 करोड़ रुपये खर्च किया जा रहा था. इनमें से 280 करोड़ रुपये का भुगतान बस मार्शलों के वेतन पर हो रहा था.
* 10 हजार 700 में से साढ़े आठ हजार सीडीवी को ट्रांसपोर्ट विभाग के जरिए बसों में मार्शल के रूप में तैनात किया गया था.