यूनुस की उलटी गिनती शुरू! बांग्लादेश में छात्र नेताओं ने बनाई नई पार्टी, करने लगे दूसरे गणराज्य की मांग

    बांग्लादेश की राजनीति में एक नया मोड़ आया है. शेख़ हसीना सरकार के खिलाफ लंबे समय से आंदोलन कर रहे छात्र नेताओं ने अब खुद को एक राजनीतिक दल के रूप में संगठित कर लिया है.

    Countdown to Mohammad Yunus begins Student leaders form new party in Bangladesh will there be a coup again
    मोहम्मद यूनुस/Photo- ANI

    नई दिल्ली: बांग्लादेश की राजनीति में एक नया मोड़ आया है. शेख़ हसीना सरकार के खिलाफ लंबे समय से आंदोलन कर रहे छात्र नेताओं ने अब खुद को एक राजनीतिक दल के रूप में संगठित कर लिया है. इस नवगठित पार्टी का नाम है नेशनल सिटिज़न पार्टी (एनसीपी), जिसका उद्देश्य देश की राजनीतिक व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन लाना बताया जा रहा है.

    नई पार्टी की घोषणा और इसके उद्देश्य

    एनसीपी की स्थापना की घोषणा शुक्रवार को ढाका के माणिक मियां एवेन्यू में हुई, जहां इसके संयोजक नाहिद इस्लाम ने ‘दूसरे गणराज्य’ की स्थापना की बात कही. उनका कहना है कि 2024 के सत्ता परिवर्तन के साथ ही बांग्लादेश के लिए एक नए युग की शुरुआत हो चुकी है. उन्होंने संविधान सभा के माध्यम से एक नया संविधान तैयार करने की आवश्यकता पर बल दिया, जिससे मौजूदा संवैधानिक तानाशाही समाप्त की जा सके.

    एनसीपी के वरिष्ठ संयुक्त संयोजक आरिफ़ुल इस्लाम अदीब ने कहा, “बांग्लादेश का मौजूदा संवैधानिक ढांचा निरंकुश शासन को बढ़ावा देता है. देश की राजनीतिक व्यवस्था में सुधार की जरूरत है ताकि शक्ति का केंद्रीकरण रोका जा सके. हमारा आंदोलन युवाओं की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए है.”

    क्या है ‘दूसरा गणराज्य’?

    ‘दूसरे गणराज्य’ की अवधारणा मूल रूप से फ्रांसीसी क्रांति से प्रेरित मानी जाती है. यह तब लागू होती है जब किसी देश की राजनीतिक संरचना को पूरी तरह बदलकर एक नई शासन प्रणाली लागू की जाती है. इसे क्रांति या तख़्तापलट से जोड़कर देखा जाता है. एनसीपी नेताओं ने अपनी घोषणाओं में इस पर खासा जोर दिया है, जिससे यह बहस तेज हो गई है कि पार्टी का असली एजेंडा क्या है.

    राजनीतिक विश्लेषकों की राय

    एनसीपी के गठन के बाद राजनीतिक विशेषज्ञों में इस बात को लेकर मतभेद है कि यह पार्टी किस दिशा में जाएगी. ढाका विश्वविद्यालय के प्रोफेसर महबूब उल्लाह का कहना है, “एनसीपी ने ‘इंक़लाब ज़िंदाबाद’ जैसे नारे को अपने आंदोलन का हिस्सा बनाया है. यह नारा ऐतिहासिक रूप से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़ा रहा है. हालांकि, बांग्लादेश की राजनीति में यह नया है और इसे सीधे तौर पर नकारात्मक नहीं कहा जा सकता.”

    दूसरी ओर, कुछ विश्लेषकों का मानना है कि एनसीपी अभी तक कोई ठोस राजनीतिक एजेंडा प्रस्तुत नहीं कर पाई है. पार्टी की विचारधारा को लेकर भी संशय बना हुआ है, क्योंकि उन्होंने अभी तक न कोई स्थायी नारा तय किया है, न झंडा, न ही कोई आधिकारिक घोषणापत्र जारी किया है.

    बीएनपी की प्रतिक्रिया

    इस नई पार्टी के गठन पर बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की भी प्रतिक्रिया सामने आई है. बीएनपी की राष्ट्रीय स्थायी समिति के सदस्य सलाउद्दीन अहमद ने कहा, “जो लोग दूसरा गणराज्य स्थापित करना चाहते हैं, उन्हें इसे अपने घोषणापत्र में साफ़ तौर पर रखना चाहिए. लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत देश को आगे ले जाने की जरूरत है, किसी भी तरह की अस्थिरता से बचा जाना चाहिए.”

    क्या यह पार्टी मौजूदा राजनीति को चुनौती दे पाएगी?

    एनसीपी के गठन के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह पार्टी मौजूदा राजनीतिक दलों को चुनौती दे पाएगी या यह सिर्फ एक आंदोलन तक सीमित रह जाएगी. बांग्लादेश की राजनीति में आमतौर पर दो प्रमुख दलों—अवामी लीग और बीएनपी का वर्चस्व रहा है. ऐसे में, एक नई पार्टी का उभरना राजनीतिक संतुलन को कितना प्रभावित करेगा, यह समय ही बताएगा.

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