नई दिल्ली: भारत की रक्षा तैयारियों को मजबूत बनाने की कोशिशों के बीच चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने घरेलू रक्षा कंपनियों को खुलकर चेतावनी दी है. उन्होंने कहा कि रक्षा क्षेत्र सिर्फ कारोबार नहीं है, बल्कि देश की सुरक्षा से सीधे जुड़ा हुआ दायित्व है और इस दायित्व में कोताही अस्वीकार्य है.
शुक्रवार को आयोजित एक सेमिनार में सीडीएस ने उद्योग जगत को स्पष्ट संदेश देते हुए कहा कि जब भारत युद्धकालीन स्थिति जैसा दबाव झेल रहा हो या तत्काल सैन्य जरूरतें सामने हों, तब भारतीय कंपनियों से गति, सटीकता और राष्ट्रभक्ति तीनों की अपेक्षा होती है. लेकिन हाल के अनुभवों में रक्षा क्षेत्र ने इन उम्मीदों को पूरा नहीं किया.
कंपनियों की देरी ने बढ़ाया सेना का दबाव
जनरल चौहान ने बताया कि आपातकालीन रक्षा खरीद के पांचवें और छठे चरण के दौरान सेना को स्वदेशी समाधान देने वाली कई कंपनियों पर भरोसा था. लेकिन वास्तविक स्थिति निराशाजनक रही-
CDS ने कहा कि जब देश की सुरक्षा दांव पर हो और सेना मोर्चे पर खड़ी हो, तब उद्योग जगत की ये देरी सिर्फ व्यावसायिक विफलता नहीं, बल्कि राष्ट्रीय नुकसान है.
रक्षा सुधार में उद्योग भी जिम्मेदारी निभाए- CDS
CDS चौहान ने कहा कि भारत में रक्षा सुधारों को आगे बढ़ाने के लिए सिर्फ नीतियां बदलना पर्याप्त नहीं है. इसके लिए उद्योगों का ईमानदार सहयोग जरूरी है.
उन्होंने कहा, "सुधार एकतरफा नहीं होते. सरकार ने नीतियां खोलीं, सेना ने ऑर्डर बढ़ाए, लेकिन उद्योगों को भी अपनी क्षमता के बारे में पारदर्शी होना पड़ेगा."
सीडीएस का यह बयान उन कंपनियों की ओर संकेत करता है जो अपने उत्पादों में ‘स्वदेशी सामग्री’ के इस्तेमाल का दावा तो करती हैं, लेकिन असल में उनमें बहुत सा हिस्सा बाहर से आयात किया जाता है.
उन्होंने कहा कि देश की सुरक्षा जरूरतों के समय इस तरह के झूठे दावे, अधूरे वादे और धीमी कार्यप्रणाली बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं की जा सकती.
मुनाफे में राष्ट्रभक्ति भी जोड़ें- CDS का संदेश
जनरल चौहान ने कहा, "जब आप रक्षा क्षेत्र में काम करते हैं, तो सिर्फ मुनाफा नहीं देखते… उसमें थोड़ा राष्ट्रवाद और देशभक्ति भी जोड़िए."
उन्होंने कहा कि भारत आज रक्षा निर्माण में आत्मनिर्भर बनने के जिस रास्ते पर चल रहा है, वह तभी सफल होगा जब उद्योग जगत इस मिशन को निजी कारोबार नहीं, बल्कि राष्ट्रनिर्माण का अभियान समझे.
गलत दावों से भारत की छवि प्रभावित होती है
CDS ने अपने संबोधन में कहा कि जब भारतीय कंपनियां रक्षा निर्यात में आगे बढ़ने की कोशिश कर रही हैं, तब गुणवत्ता और समयसीमा अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है.
अगर कोई कंपनी विदेशों में भी समय पर डिलीवरी नहीं दे पाती, या घटिया गुणवत्ता का हथियार बनाती है, तो इससे सिर्फ उस कंपनी की साख नहीं, बल्कि भारत की विश्वसनीयता भी प्रभावित होती है.
उन्होंने कहा कि भारतीय हथियारों की मांग दुनिया में लगातार बढ़ रही है, इसलिए अब रक्षा उद्योगों को अपनी जिम्मेदारी और गंभीरता दोनों को समझना होगा.
इंडिजेनाइजेशन पर पारदर्शिता जरूरी
CDS ने साफ कहा कि कई कंपनियां अपने उत्पादों को “80% स्वदेशी” या “पूरी तरह भारत में बनी तकनीक” बताकर प्रचार करती हैं, जो बाद में गलत साबित होता है.
उन्होंने कहा, "अगर कोई तकनीक वास्तव में स्वदेशी नहीं है तो उसे उसी रूप में बताएं. आधा सच और बढ़ा-चढ़ाकर किए दावे हमारे लिए बड़ी समस्या बन जाते हैं."
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