अंतरिक्ष से गिरे उल्कापिंड ने डायनासोर का किया था खात्मा, क्या अब है इसानों की बारी; एक्सपर्ट ने किया खुलासा

ग्लोबल वॉर्मिंग और पर्यावरण असंतुलन ने वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ा दी है. बीच-बीच वैज्ञानिक भी इसके चलते धरती के खत्मा होने की बात करते रहे हैं. इस सबके इतर वैज्ञानिकों की नई थ्योरी आपको चौंका सकती है. इसमें कहा गया है कि धरती पर इंसानों का खात्मा हो जाएगा और यह दोबारा से सुपर महाद्वीप बन जाएगा. इसके बाद धरती पर इंसानों का वजूद ही मिट जाएगा, जो बचे होंगे.

ज्वालामुखी से खत्म होंगे इंसान

यह दावा है कि यूनाइटेड किंगडम की ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों का, जिसमें एक सिमुलेशन के जरिए धरती पर स्तनधारियों के खात्मे को लेकर नई थ्योरी दी गई है। एक शोध के हवाला से कहा गया है कि धरती के खात्मे के बाद सभी महाद्वीप मिल कर एक बड़े महाद्वीप का निर्माण करेंगे। ऐसा करने की सूरत में मौसम शुष्क होगा और इस दौरान लगातार धरती पर बने ज्वालामुखी फटेंगे और यही लोगों को धरती से खत्म कर डालेंगे.


वैज्ञानिकों का कहना है कि कभी अंतरिक्ष से गिरे एक विशाल उल्का पिंड की वजह से डायनासोर का धरती से खात्म हुआ था और अब एक नए सुपर महाद्वीप का निर्माण इंसानों का वजूद मिटा देगा. वैज्ञानिकों की इस थ्योरी को लेकर लोग भी सकते हैं. इस बीच यह भी कहा गया है कि इस पूरी प्रक्रिया में 25 करोड़ वर्ष लगेंगे. 


सुपर कंप्यूटर के जरिए यूनाइटेड किंगडम में ब्रिस्टल विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने भविष्य के एक जलवायु मॉडल तैयार किया है. वैज्ञानिकों ने इसका नाम पैंजिया अल्टिमा रखा है. इसके आधार पर वैज्ञानिकों की ओर से कहा गया है कि करीब 25 करोड़ वर्षों में विश्व के कई महाद्वीप मिलकर एक विशाल महाद्वीप में तब्दील हो जाएंगे. 

क्या होगा जब दो महाद्वीप मिलेंगे?

वैज्ञानिकों का कहना है कि जब दो महाद्वीप मिलेंगे तो इससे गर्मी के साथ शुष्क मौसम तैयार होगा और ये धरती के इंसानों के लिए बेहद खतरनाक होगा। वैज्ञानिकों के शोध के अनुसार, सुपर महाद्वीप के गठन से नियमित अंतराल पर धरती पर ज्वालामुखी विस्फोट होंगे.

इसके चलते वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ेगी. इसका असर सूर्य पर भी पड़ेगा. इसके चलते सूर्य तो चमकीला और गर्म होगा ही, जिसका असर धरती पर पड़ेगा.  

इसके चलते तापमान 40-50 डिग्री सेल्सियस हो जाएगा और यह मनुष्य के खात्म के लिए एक कारण बनेगा. इसका असर कृषि उत्पादन समेत कई तरह की अन्य गतविधियों पर भी पड़ेगा.