वाराणसी, भारत24 डिजिटल डेस्क: सैकड़ों हिंदी और भोजपुरी काव्य रचने वाले देश के प्रख्यात साहित्यकार पंडित हरिराम द्विवेदी का मोती झील स्थित उनके आवास पर निधन हो गया. वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे. 12 मार्च 1936 को मिर्जापुर के शेरवा गांव में जन्मे पं हरिराम द्विवेदी के निधन की जानकारी मिलते ही शुभचिंतकों में गम का माहौल हो गया. हरिराम द्विवेदी आकाशवाणी और भोजपुरी जगत की एक बड़ी शख्सियत थे और वह बहुत लोकप्रिय कवि थे.
साथी साहित्यकारों ने जताया दुख
संकटमोचन मंदिर के महंत प्रो विश्वभर नाथ मिश्र, कवि सुदामा तिवारी उर्फ सांड बनारसी, नागेश शांडिल्य,बदरी विशाल, बीएचयू न्यूरोलॉजी विभाग के अध्यक्ष प्रो विजयनाथ मिश्र, आईआईटी बीएचयू के पूर्व निदेशक प्रो एसएन उपाध्याय और सनातन रिसर्च सेंटर वाराणसी के संस्थापक अप्रवासी रमन त्रिपाठी ने लेखक के निधन पर शोक जताया है.
आकाशवाणी इलाहाबाद में उद्घोषक भी रहे
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से हिन्दी विषय से स्नातक व बीएड, काशी विद्यापीठ वाराणसी से स्नातकोत्तर की डीग्री हासिल करने के बाद वह मई 1965 आकाशवाणी इलाहाबाद में उद्घोषक बने. हरिराम द्विवेदी की साहित्यिक, सांस्कृतिक,हिन्दी व भोजपूरी में लेखन की अभिरुचि थी, जिनकी दर्जनों रचनाएं प्रकाशित हो चुकी हैं. हिन्दी भोजपुरी भाषा में विषेश योगदान के चलते वर्ष 2006में भोजपुरी भाषा के प्रतिनिधि कवि रूप में आइसीसीआर के माध्यम से म्यामार की यात्रा भी की.
एक गीत ने बनाया लाखों को दीवाना
बता दें कि पं लेखक ने 1962 में भारत-चीन युद्ध के दौरान एक गुहार गीत की रचना किया और उसे स्वर भी दिया था. 'माई हो ललनवा दे द बहिनी हो बिरनवा दे द' कविता लिखकर माताओं-बहनों से मां भारती की रक्षा के लिए गुहार की थी. इस गुहार गीत से पं हरि राम द्विवेदी ऊर्फ हरि भैया को बहुत ही प्रसिद्धि प्राप्त हुई.
ये हैं प्रमुख रचनाएं
अंगनइया
आंगन में पलना
फुलवारी
नदियों गइल दुबराय
दोहावली
नारी
जीवन दायिनी गंगा
हाशिए का दर्द
बैन फकिरा
हे देखा हो
काशी महिमा
रिपोर्ट: हरेंद्र शुक्ला