बेरूत (लेबनान): दक्षिणी लेबनान में बढ़ते तनाव और चल रहे संघर्ष के बीच राष्ट्र का समर्थन करने के मानवीय प्रयास के तहत भारत ने शुक्रवार को लेबनान को 11 टन चिकित्सा आपूर्ति की पहली खेप भेजी. कुल 33 टन चिकित्सा आपूर्ति भेजी जा रही है.
विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने एक्स पर पोस्ट किया, "भारत ने लेबनान को मानवीय सहायता भेजी. कुल 33 टन चिकित्सा आपूर्ति भेजी जा रही है. 11 टन चिकित्सा आपूर्ति की पहली खेप आज भेजी गई. इस खेप में फार्मास्युटिकल उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है, जिसमें हृदय संबंधी दवाएं, एनएसएआईडी (गैर-स्टेरायडल एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाएं), एंटी-इंफ्लेमेटरी एजेंट, एंटीबायोटिक्स और एनेस्थेटिक्स शामिल हैं."
🇮🇳 sends humanitarian assistance to Lebanon.
— Randhir Jaiswal (@MEAIndia) October 18, 2024
A total of 33 tons of medical supplies are being sent. First tranche of 11 tons of medical supplies was dispatched today.
The consignment comprises of a wide range of pharmaceutical products, including cardiovascular medications,… pic.twitter.com/h35wcaeFHD
लेबनान की सहायता करने में भारत का एक महत्वपूर्ण कदम
पोस्ट के मुताबिक, यह 33 टन की खेप की पहली किश्त है, जिसमें कार्डियोवैस्कुलर दवाएं, एनएसएआईडी, एंटी-इंफ्लेमेटरी एजेंट, एंटीबायोटिक्स और एनेस्थेटिक्स शामिल हैं. शेष आपूर्ति आने वाले दिनों में होने की उम्मीद है, जो इस संकट के दौरान लेबनान की सहायता करने की भारत की प्रतिबद्धता में एक महत्वपूर्ण कदम है.
दक्षिणी लेबनान में बढ़ती हिंसा के बीच, भारत ने संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों, विशेषकर ब्लू लाइन पर तैनात कर्मियों की सुरक्षा पर अपना कड़ा रुख दोहराया है, जो लेबनान को इज़राइल से अलग करती है. यूनिफिल परिसर पर कई हमलों की सूचना मिलने पर, जयसवाल ने राष्ट्र की चिंता पर जोर दिया.
हम शांति सैनिकों की सुरक्षा को बहुत गंभीरता से लेते हैं
एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान जयसवाल ने कहा, "हम शांति सैनिकों की सुरक्षा को बहुत गंभीरता से लेते हैं. हमने यूनिफिल परिसर की सुरक्षा बनाए रखने के लिए सभी कार्रवाई करने का आह्वान किया है." भारत ने आगे पुष्टि की है कि ब्लू लाइन पर उसका कोई भी सैनिक तैनात नहीं है, लेकिन वह स्थिति पर करीब से नजर रखे हुए है.
भारत की प्रतिक्रिया शांति सैनिकों की सुरक्षा पर बढ़ती चिंताओं के बीच आई है, खासकर हाल ही में इजरायली टैंक की आग के कारण दो इंडोनेशियाई UNIFIL शांति सैनिकों के घायल होने के बाद. विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा, "हम ब्लू लाइन पर बिगड़ती सुरक्षा स्थिति से चिंतित हैं. हम स्थिति पर बारीकी से नजर रखना जारी रखते हैं."
संयुक्त राष्ट्र परिसर की अनुल्लंघनीयता का सबको सम्मान करना चाहिए
बयान में यह भी दोहराया गया कि "संयुक्त राष्ट्र परिसर की अनुल्लंघनीयता का सभी को सम्मान करना चाहिए, और संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों की सुरक्षा और उनके जनादेश की पवित्रता सुनिश्चित करने के लिए उचित उपाय किए जाने चाहिए."
स्थिति ने अंतरराष्ट्रीय ध्यान आकर्षित किया है, इजरायली प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने क्षेत्र में हिजबुल्लाह के बढ़ते प्रभाव का हवाला देते हुए संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस से शांति सेना को वापस लेने का आह्वान किया है.
UNIFIL, जो 1978 से इस क्षेत्र में कार्यरत है, ने हाल ही में अपने शांति सैनिकों की सुरक्षा के महत्व पर जोर देते हुए एक और वर्ष के लिए अपने जनादेश को नवीनीकृत किया है क्योंकि दक्षिणी लेबनान में हिंसा लगातार बढ़ रही है.
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