अब पूरी दिल्ली की हवा बदतर हुई, करवाचौथ पर पटाखों ने इसे और खतरनाक लेवल पर पहुंचाया

    एक निवासी और कॉलेज छात्र कुशल चौधरी ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में बढ़ते प्रदूषण के कारण उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही है. कहा- पटाखों पर रोक के बावजूद इन्हें फोड़ा गया.

    अब पूरी दिल्ली की हवा बदतर हुई, करवाचौथ पर पटाखों ने इसे और खतरनाक लेवल पर पहुंचाया
    दिल्ली का वायु प्रदूषण कम करने के लिए एंटी स्मॉक गाड़ी पानी का छिड़काव करते हुए | Photo- ANI

    नई दिल्ली : राष्ट्रीय राजधानी में सोमवार को सुबह 8 बजे एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) गिरकर 349 पर पहुंच गया, जिसे 'बहुत खराब' श्रेणी में रखा गया. कल करवाचौथ के दिन पटाखों ने इसे और खतरनाक श्रेणी में पहुंचा दिया.

    एक निवासी और कॉलेज छात्र कुशल चौधरी ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में बढ़ते प्रदूषण के कारण उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही है.

    "मैं एक कॉलेज छात्र हूं और मुझे सुबह जल्दी अपने कॉलेज के लिए निकलना पड़ता है. बढ़ते प्रदूषण के कारण मुझे सांस लेने में दिक्कत हो रही है. यहां पटाखे प्रतिबंधित हैं, लेकिन इसके बावजूद कल करवा चौथ पर बहुत सारे पटाखे जलाए गए. सरकार को कदम उठाने और प्रदूषण पर नियंत्रण करने की ज़रूरत है."

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    राजधानी के अलग-अलग इलाकों की हवा हाल

    केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, राजधानी के शकूरपुर और आसपास के इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 346 दर्ज किया गया, जिसे 'बहुत खराब' श्रेणी में रखा गया.

    इंडिया गेट के आसपास के इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 309 दर्ज किया गया, जिसे 'बहुत खराब' श्रेणी में रखा गया. सफदरजंग में एयर क्वालिटी इंडेक्स 307 दर्ज किया गया, जिसे 'बहुत खराब' श्रेणी में रखा गया.

    यमुना का पानी भी बदतर हुआ, जहरीला झाग नजर आ रहा

    इस बीच, यमुना नदी में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ने के कारण नदी में जहरीला झाग तैरता देखा गया. पर्यावरणविद् विमलेंदु के झा ने इस घटना को दिल्ली में पर्यावरण गवर्नेेंस का पूर्ण रूप से मजाक बताया.

    विमलेंदु के झा ने बताया, "हमने एक बार फिर यमुना नदी की सतह पर बहुत सारा झाग तैरता हुआ देखा है...यह दिल्ली में पर्यावरण गवर्नेंस का एक बड़ा मजाक है...हमने प्रदूषण के वजहों को देखा है जो मुख्य रूप से दिल्ली से हैं, बेशक, दिल्ली सरकार इसके लिए अन्य राज्यों को दोषी ठहराना चाहेगी. वास्तव में अन्य राज्य भी जिम्मेदार हैं क्योंकि यमुना इन राज्यों से होकर बहती है, लेकिन यमुना के प्रदूषण के लिए मुख्य रूप से दिल्ली का अपना प्रदूषण जिम्मेदार है, 17 नाले जो वास्तव में दिल्ली में यमुना में गिरते हैं..."

    विशेषज्ञ ने यमुना नदी के झाग को बताया खतरनाक

    इससे पहले, एएनआई से बात करते हुए, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर में कोटक स्कूल ऑफ सस्टेनेबिलिटी के डीन प्रोफेसर सच्चिदा नंद त्रिपाठी ने कहा, "यमुना नदी पर झाग का प्रभाव खतरनाक है. झाग का बार-बार आना मुख्य रूप से नदी में बहने वाले अनुपचारित अपशिष्ट जल में साबुन, डिटर्जेंट और अन्य प्रदूषकों से बड़ी मात्रा में सर्फेक्टेंट के कारण होता है."

    अध्ययनों से पता चला है कि तरल अवस्था में पानी की मात्रा और कार्बनिक प्रजातियों की मौजूदगी हवा में वाष्पशील कार्बनिक कंपाउंड्स के विभाजन को बढ़ाकर SOA गठन को बढ़ा सकती है. यह प्रक्रिया विशेष रूप से भारी प्रदूषण वाले शहरी क्षेत्रों में महत्वपूर्ण है, जैसे कि यमुना नदी की स्थिति.

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